22 मई 2011

दिल्लगी ...

आज मौसम और मिजाज़ बड़ा आशिकाना है
मेरे घरकी छत पर रातसे बरखा और बादल का आनाजाना है ....
कल रात हुआ था बादलको बरखासे पहली नजरका प्यार
दोनों निकल पड़े है लॉन्ग ड्राइव पर हवाके रथ पर होकर सवार .....
तारोंसे भरी शौल ओढ़कर सोये थे रात में ,
सूरजके पसीनेने दिल्लगीसे छेड़ा हमें बरखाकी बुँदे बनकर ...

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