ख़ामोशीकी सदा कुछ बोल पड़ी ,
खोली सुबहमें जब बंद खिड़की मेरी ,
मेरी हँसी खिल पड़ी ,
वो घर जो मेरा है ,
वहां मेरी आँखे खुली है फिर से ,
फिरसे एक ताज़ा हवा के झोंकेके संग
मैं भी हौले हौले उड़ चली .....
बहुत कुछ दिल पर है लिखा ,
पर क्या करूँ अल्फाज़ मेरे खेल रहे है आज
मुझ संग आँख मिचोली ,
ठहरो थोड़ी देर आज तुम भी ...
उन्हें पकड़ कर मैं वापस लौटती हूँ ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
बहुत भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख है प्रीती जी
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