वो चले गए चुपचाप मेरी जिंदगीसे
जैसे एक दिन चुपकेसे सरकता है
शाम की बाँहोंसे सरकता रातकी बाहोंमें ,
पर दिन की उस तपिश को
जिस्ममें महसूस कर रही हूँ अब तक ....
वो कभी जा नहीं सकते ऐसे ....
कहते है पूछते है कैसे है हाल हमारे ?
कोई जाकर बता दे उन्हें भी
जिन्दा लाशें बोला नहीं करती ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
30 मार्च 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
-
बंदिशें बनती है धूपमे भी कभी , सरगम बनकर बिछ जाता है धूप का हर टुकड़ा , उसके सूरसे नर्तन करते हुए किरणों के बाण आग चुभाते है नश्तरों के ...
-
एहसान या क़र्ज़ कहाँ होता है इस दुनिया में ??? ये तो रिश्तोंको जोड़े रखने का बहानाभर होता है .... बस मिट्टी के टीले पर बैठे हुए नापते है ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें