30 मार्च 2011

वो चले गए

वो चले गए चुपचाप मेरी जिंदगीसे
जैसे एक दिन चुपकेसे सरकता है
शाम की बाँहोंसे सरकता रातकी बाहोंमें ,
पर दिन की उस तपिश को
जिस्ममें महसूस कर रही हूँ अब तक ....
वो कभी जा नहीं सकते ऐसे ....
कहते है पूछते है कैसे है हाल हमारे ?
कोई जाकर बता दे उन्हें भी
जिन्दा लाशें बोला नहीं करती ....

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