वो चले गए चुपचाप मेरी जिंदगीसे
जैसे एक दिन चुपकेसे सरकता है
शाम की बाँहोंसे सरकता रातकी बाहोंमें ,
पर दिन की उस तपिश को
जिस्ममें महसूस कर रही हूँ अब तक ....
वो कभी जा नहीं सकते ऐसे ....
कहते है पूछते है कैसे है हाल हमारे ?
कोई जाकर बता दे उन्हें भी
जिन्दा लाशें बोला नहीं करती ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
30 मार्च 2011
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