चाँद के नाम एक और पयगाम ....
कल चाँद बहुत बड़ा था ,
कल चाँदकी चमक भी बहुत थी ....
चाँदके आयने में खुद को देखा ,
दिल खिल गया ,मुझे जैसे हथेली में ही वो मिल गया ...
उसको सिरहाने पर रख मैं मदहोश हो गयी ,
कल फिर गर्म रात में मैं सो गयी ...
सुबह जागी तो घने कोहरे का आलम था ,
ठंडी हवाओंने मुझे कम्बलसे ढका था ,
सोचा कल ये चाँद को ही शरारत सूझी होगी ,
उठाकर मुझे खुद की बाँहों में सोते ही ,
उसने मुझे किसी पहाडीकी वादियोंमें छुपाइ होगी ...
बस ये ही ख़याल आया ...
ये कहाँ आ गए हम ..यूँही साथ साथ चलकर ????
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
शानदार।
जवाब देंहटाएंसादर।