10 मार्च 2011

ख्वाहिश सी

रिवायतोको मंज़ूर करना वो मेरी तक़दीर थी ,
उसे तोडना वो मेरी जरूरत थी ....
चाँद तो नहीं आ सकता मेरे घर पर ,
उसे खिड़कीसे ही देखना मेरी मजबूरी थी .....
अय चाँद कभी जमीं पर भी आकर देखो एक बार ,
ये सागर धो देगा तेरे चेहरे पर दिखते हर दागको ........

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