वो हमें राहों पर छोड़ गया तनहा ,
इंतजार करते हुए ...
सोचा था हम उसकी जरूरत है ,
उसके लिए जन्मों तक इंतज़ार करते रहेंगे .....
पर हर इब्तदा लेकर आती है एक इन्तेहा,
इससे वो नावाकिफ था ,
कदम रुक जाए ये होता है कभी कभी ,
ये नहीं मुमकिन की जिंदगी का वक्त रुक जाए .......
और हम लौट गए कहीं अनजान दुनिया में ,
जहाँ हमारे वजूद के निशाँ ना रह गए बाकी ,
अब गर लौट कर आये तो भी ,
यादों के धुंधले निशाँ को छोड़ कुछ ना मिलेगा ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें