किसी लम्बी सी राह पर दो अजनबी का मिलना ,
एक साथ है ,
दो हाथ है ,
एक ख़ामोशी है ,
दो जुबाँ है ,
एक चाह है ,
फिर भी दो राह है ....
एक चाह होती है ,
फिर भी दोनों की राह बदलती है .....
चलते चलते रुक जाओ ,
अपने सपने को फिर से सोचो ,
शायद सामने वही तो है
जो सपने में पुकारता था ,
जो दिल पर दस्तक देकर छुप जाता था ,
जिसका तुम्हे इंतज़ार था ,
आपका दिल हर पल बेक़रार था ,
ये संयोग है ,
चलो आज उसके भरोसे जिंदगी सौंप दो ,
उसकी ख़ामोशी को पढ़ लो ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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चलो आज उसके भरोसे जिंदगी सौंप दो ,
जवाब देंहटाएंउसकी ख़ामोशी को पढ़ लो ...
preeti ji aapke blog ko padhna sukhad hai. apni ye rachna vatvriksh ke liye bhejen rasprabha@gmail.com per tasweer parichay blog ke link ke saath