28 जनवरी 2011

इन रेखाओं में .........

चल ये टूटे पत्तेकी रेखाओंसे अपनी हथेली मिलाते है ,
थोड़ी सी तक़दीर को जोड़ते है और थोड़ी मायूसीसे मिलते है ,
फिर मैं समयके साथ उड़ जाता हूँ और पत्ते हवा के साथ ,
जिंदगीमें फिर मिले ना मिले ये पता नहीं
पर मेरी हथेली पर उसका स्पर्श
और उसकी रेखामें मेरी तक़दीर जुदा ना हो पाते है ....

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