चल ये टूटे पत्तेकी रेखाओंसे अपनी हथेली मिलाते है ,
थोड़ी सी तक़दीर को जोड़ते है और थोड़ी मायूसीसे मिलते है ,
फिर मैं समयके साथ उड़ जाता हूँ और पत्ते हवा के साथ ,
जिंदगीमें फिर मिले ना मिले ये पता नहीं
पर मेरी हथेली पर उसका स्पर्श
और उसकी रेखामें मेरी तक़दीर जुदा ना हो पाते है ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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