8 जनवरी 2011

१.१.२०११ : एक शुरुआत

बराबर एक हफ्ते पहले हमने नए दशक में प्रवेश किया ....इस दिन को बहुत अलग अंदाज़से गुजारा मैंने .......इकत्तीस को दुनिया जाग रही तो मैं भर नींद में सो गयी ......साल के पहले ही दिन फ्लेट की टंकी की मोटर ख़राब हुई ...नहाने का भी पानी नहीं ...ऊपर से घर में रोटी के लिए आटा भी ख़त्म तो पिसना था ....सब्जी लाने की थी ...सब कुछ एक साथ ......ऊपर से दोपहर दो बजे हमारे फ्लेट्स की दस गृहिणी महिला ने यहाँ के सयाजी बाग में जाकर नया साल मनाने का भी तय किया था ......
जो भागमभाग हुई ......ये भूल ही गयी की आज पहली जनवरी और एक एक ग्यारह तारीख है और मैं भी घर में अकेली .....पर दिन के अंत में सब कुछ निपटा दिया था .......मोटर भी चालू हो गयी .....
कभी कभी कोई खास दिन हो और उसी दिन सब कुछ उल्टा पुल्टा हो जाए तो कितनी मज़ा आती है ना ???? मुझे एक बात का भी टेंशन नहीं था ....ठन्डे दिमाग से एक के बाद एक काम निपट रहे थे .....
१......एक बात की मुझे ख़ुशी हुई की कम से कम दस महिला ने ये सोचा की चलो हम अपनी घर गृहस्थीमें से अपने लिए वक्त निकाले ...कुछ अपने लिए लम्हे निकाले जिसे वह अपने तरीके से जी लिया जाय ....हम वहां गए ...फिश पोंड ,कबड्डी , स्टेंडिंग खो खो .....योग सब कुछ खेल कूद किया ...घर से पापड़ी का लोट कोंत्रिब्युशनमें बनाकर ले गए थे .....खूब मस्ती भी की ........ये सुबह से शाम आपकी जिंदगी को हर बात को सरल बनाने में जुटी हुई एक महिला का स्थान क्या है ????? क्या उसको अपने लिए अपने तरीके से जीने का, हंसने का बोलने का कोई हक़ नहीं????...बस एक बात है की वो अपने लिए वक्त निकालना ही नहीं चाहती ...घर वाले इससे खुश भी होते है पर वो वक्त निकालना ही नहीं चाहती ....
२......ये बात हर इंसान की है की कौनसे वक्त क्या काम करना चाहिए वो चीज बहुत कम इंसान जानते है ....हम बाग़ में मजा करने गए थे ...पर एक महिला ने ये कहा की हमें यहाँ भगवान का नाम लेना चाहिए ...और कुछ आध्यामिक बातें करने लगी ...बाकी लोग के साथ मुझे भी ये पसंद नहीं आया ...क्योंकि ये बातें तो हम किसीके घर पर मिलकर भी कर सकते है ....किसी की शादी में जाते है तो वहां पर अपने घर या ऑफिस की समस्या को लेकर डिस्कशन भी सुनने में आता है ...किसी के मौत के कारण वहां गए हो तो किसीकी शादी की सेटिंग की बातें करते देखा गया है ....ये पढ़े लिखे या अनपढ़ सब लोग के केस में सही है .....शायद ये चीज हम सीखें तो हमारे आधे टेंशन कम हो सकते है .......
अगर शांति से एक के बाद एक काम निपटाओ तो दिन के अंत में सब कुछ ठीक ठाक ही मिलता है ....जहाँ जाये उस समां का आनंद ले तो हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता है ......
हाँ ये नए वर्ष और दशककी शुरुआत मुझे बहुत कुछ सिखा गयी .....

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