दूर हो जाना हमारा लाज़मी था ,
इतनी कुर्बतसे हम डरने लगे थे ,
तुम्हारे पास होते वक्त
तुमसे दूरी के डरसे डरने लगे थे ,
तुमसे और करीब होने लगे थे ,
दबे पांव जब हम जिंदगीसे दूर चलने लगे थे ,
पहले तनहाईमें ख्यालमें मिला करते थे हमतुम ,
अब हर गली चौबारे पर तुम ही तुम नज़र आने लगे थे ......
एक दिन लौट आये हम वीरानेसे इस खँडहरमें एक बार फिर ,
पर अब वो खँडहरमें हमें एक सुन्दर सजे घर के
तुम्हारे साथ कटने वाले उन हसीं लम्हों के ख्वाब
एक बार फिर आने लगे थे ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
bhavon ko bahut sundarta ke sath abhvyakt kiya hai .badhi .mere blog ''vikhyat''par aapka hardik swagat hai .
जवाब देंहटाएंbahut sundar!!!
जवाब देंहटाएंhappy new year...