6 जनवरी 2011

क्यों तुम जुदा हुए थे ऐसे ????

दूर हो जाना हमारा लाज़मी था ,
इतनी कुर्बतसे हम डरने लगे थे ,
तुम्हारे पास होते वक्त
तुमसे दूरी के डरसे डरने लगे थे ,
तुमसे और करीब होने लगे थे ,
दबे पांव जब हम जिंदगीसे दूर चलने लगे थे ,
पहले तनहाईमें ख्यालमें मिला करते थे हमतुम ,
अब हर गली चौबारे पर तुम ही तुम नज़र आने लगे थे ......
एक दिन लौट आये हम वीरानेसे इस खँडहरमें एक बार फिर ,
पर अब वो खँडहरमें हमें एक सुन्दर सजे घर के
तुम्हारे साथ कटने वाले उन हसीं लम्हों के ख्वाब
एक बार फिर आने लगे थे ....

2 टिप्‍पणियां:

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...