आने का वायदा तो किया था मैंने कल मिलूंगी ,
राह में इतनी बरसात हुई की पैर फिसल गया ,
मोच मई टांगसे ना आ सकी चलकर
पर खुदा गवाह रहा
हर पल तेरे बगैर आहें भरी मैंने ....
अब आ चुकी हूँ सामने
निकल ले जो गुबार दिल में हो
मैं तो तेरे गुस्से पर भी सदके यार मेरे .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
4 जनवरी 2011
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