केयूर :माँ नीली शर्ट नहीं मिली .....
नीला : माँ मेरी कल आर्ट कम्पीटीशन है मैं देर से आउंगी .....
निलेश : ऋतू ,आज शाम मेरी डिनर मीटिंग है देर से लौटूंगा ...
ऋतू ...
एक गृहिणी है ..बेटा केयूर कोलेज में है और नीला बेटी ग्यारहवी कक्षामें है ...उस शाम को ऋतू कुछ नहीं कर पाती है ....सब उससे खफा है बहुत ...
सब के मुंह पर एक ही लाइन आती है ...घर में रहती हो तो पुरे दिन तुमने किया क्या ?????
किसीने उसके सर पर हाथ रखकर देखा होता तो पता चालता अंगारेकी तरह बदन तप रहा था ...कुकर से जब मुंग दाल की खिचड़ी और कढ़ी निकले तो सब उस पर बरस पड़े ...बेडरूममें ऋतू सिसक रही थी ....फोन पर पिज़ा ऑर्डर किया गया ....ऋतू भूखी ही सो गयी ...रात निलेश घर पर आया तब उसका हाथ ऋतू के हाथ को लगा ...जैसे अंगारा छू लिया है ऐसा लगा .....ऋतू बेसुध सी थी ...थर्मोमीटरसे नापा ...एक सौ तीन बुखार .....फ़ौरन डॉक्टर को बुलाया गया ....हालात बिगड़ थे ...अस्पतालमें भर्ती किया गया ....केयूर और नीला घर पर थे ...निलेशने छुट्टी ली .... दो दिन के बाद ऋतू ने उसे ऑफिस जाने को कहा ....
चार दिन के बाद ऋतू घर लौटी ....तो जैसे लगा ये घर नहीं जंगल है ....सारा तितर बितर ....सरन ताई को रसोई के लिए रखा गया था .....शाम को जब सब लौटे तो पूरा घर ऋतू के लौट आने की गवाही दे रहा था ....शाम खाना खाकर निलेशने दोनों बच्चो को बुलाया ....पहली बार सबकी जबां खामोश थी ....शुरुआत नीलाने की ...
माँ ,सॉरी आपको हम गलत समजे ...माँ तुम्हारी गैर हाजिरीमें हमने आपकी अहमियत समजी है ...माँ तुमने हमें स्कूली शिक्षा दी है अब घर की भी शिक्षा दो .....अब हम घर काम सीखना चाहेंगे ....
केयुरने कहा : माँ अब मैं अपनी चीजें संभालना सिख गया हूँ ....
निलेशके चेहरे पर मुस्कराहट थी ......जिसने बच्चो को इन चार दिनोंमें घर की लक्ष्मी की कदर करना सिखाया था ...ऋतूको बहाने से अस्पताल का नाम देकर थोड़े दिन उसकी सहेली के घर भेज दिया था ...ताकि बच्चे उसे ये ना कहे ..की माँ तुम पुरे दिन घर में क्या करती हो ???????
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
sach me ek stri ki ahmiyat koi nahi janta .ghar ki lakshi ko samman dilati sarthak rachna .
जवाब देंहटाएंप्रीतिजी आपने हर उस स्त्री के मन के भावों को शब्द दिए हैं जो घर पर रहकर कहने को कुछ नहीं करती पर .... फुर्सत उसे ज़िन्दगी भर नहीं मिलती .....
जवाब देंहटाएं