शायद तनहासे शायद अकेलेसे
दो पलके बीच छुपे वक्तसे हम ....
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ना मिलना तुमसे ये तय कर लिया
बस फासलेका एक बहाना बना लिया .....
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बेमुरव्वत कभी ना था ये जहाँ किसी के लिए
कुछ कमी रह गयी हमारी कोशिशोंमें तुम्हे शिद्दतसे पा लेने की ....
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ख्वाबोंके चंद टुकड़ो पर पल गया
एक हाथमें बचपन और दूजेमें जवानी लेकर
मेरी जिंदगीका एक टुकड़ा ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
4 अक्तूबर 2010
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