मैं गाँधी नहीं हूँ ,
सत्य मेरा सिध्धांत नहीं ,
अहिंसाके साथ असहिष्णु हूँ
हरी नोट मेरा मजहब है ....
क्योंकि मैं गाँधी नहीं हूँ .........
गरीबीके पहनावे पर
भ्रष्टाचार मेरा गहना है
निरक्षरतासे लाज नहीं आती मुझे
इसी लिए मैं गाँधी नहीं हूँ ......
औरत जात को मान देते वक्त अपने को हीन पाता हूँ ,
विज्ञानंके उपयोगसे बच्चीको कोखमें ही मिटाता हूँ ,
फिर भी मेरा देश है महान ,
शायद इस लिए के मैं गाँधी नहीं हूँ .....
मेरी आत्मा कचोटती है आज मुझे
इसी लिए आपको हेप्पी बर्थडे कहते हुए शर्माता हूँ
कैसे नज़र मिलाऊ आपसे जिसने हमें आज़ादी दिलवाई ,
सिध्धांतोको आपके कुचलकर कैसे कहूँ की मैं गाँधीके देश का वासी हूँ .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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