दौड़ती फिरती उड़ती फिजाओंमें
कुछ इस तरह जैसे खुशबू को तलाश हो फूलकी ....
बारिशकी बुँदे लौट गयी बादलों के पास नाराज़सी
वो आज खिड़की में क्यों नहीं आई ????
हर रंग भरकर वो कुछ ऐसे गुम हो जाती है
हम रह जाते उसकी हँसी में गुम जिंदगी भरी
और जिंदगी खुद हथेली से रेत की तरह सरक जाती है .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंवाह क्या सुंदर बिम्ब है!
जवाब देंहटाएंऔर जिंदगी खुद हथेली से रेत की तरह सरक जाती है .....
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अभिलाषा की तीव्रता एक समीक्षा आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
जिंदगी खुद हथेली से रेत की तरह सरक जाती है..... .
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