ख़ामोशी का आलम बहुत कह गया कल हमें ,
पर ख़ामोशी के अल्फाज़ जब बिखर गए एक सफे पर
लोगों को वो ग़ज़ल नज़र आने लगे.......
सफा उडा हवाके झोंकोके साथ दूर तक ...
इंतज़ारके हर लम्हे याद आने लगे ....
आकर गुज़र गए हमारी गली से आप भी ,
पर हम थे की बस यादों की रहगुज़रसे मुड ना पाए .....
खता गुस्ताखी मुआफ कर देना हमें
गुस्ताख दिल कभी यूँही बेदर्द हो गया हो .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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