कथ्थई शाखों पर
फूट रहे है वो कोमल पत्ते हरेभरे .....
इंतज़ार उन काँटोंकी कमसिन आँखोंमें भी बसा है !!!
काला सा काजल बन नज़र आ जाता है ...
बस वो कलि के खिलने का ....
वो नाज़ुक कली लाल गुलाबकी ......
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पीली धुप पहनकर आता है सूरज भी
धरती का रंग करने तपते सोनेसा
उस तपिशमें तपकर देख तेरे गालों का रंग भी
हो जाता है जैसे कोई खिलता गुलाब ....
सुभान अल्लाह !!!!!माशा अल्लाह .....
हो जाता है जैसे कोई खिलता गुलाब ....
जवाब देंहटाएंसुभान अल्लाह !!!!!माशा अल्लाह .....
BAHUT KHUB