चलो आज अँधेरे के दामन को कुछ देर छोड़कर कुछ रंगों की बात हो जाए ????हाँ मेरे पास अभी भी अँधेरेके कई रंग बाकी है मेरे दोस्त पर कुछ अब अलग भी सोच कर देखूं ???
अब कुछ "रंग "के तराने छेड़े जाएँ !!!!! और वो भी अन्दाजें बयां के अंतर्गत .....
एक बंद आँखने देखे थे सिर्फ दो ही रंग एक श्वेत और एक श्याम ,
देखो खुली आँख ही तो है जो मेघधनु को चुरा लायी है तुम्हारे नाम ......
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कहते है सात रंगके सपनोमें जीवन खो जाता है जैसे बहार ....
कौन बताये तुझे ओ मासूम महोब्बत की सिर्फ तेरे आने पर ही
ये जीवन रंगोसे है भर चला ......
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शर्मा जाना तेरे जानेमन हया की लाली छोड़ जाए इस चेहरे पर ....
तेरा वो जूठा गुस्सा भी लाल रंग खिला जाये इस तबस्सुम पर ...
बिरहा के काले बादल घिर आते है इस चाँद से चेहरे पर ....
मिलने पर तेरे बहार अनगिनत रंग छिड़क जाती है मिलन का रंग बनकर ....
अच्छी है, रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंरचना पसन्द आयी।
जवाब देंहटाएंबिरहा के काले बादल घिर आते है इस चाँद से चेहरे पर ....
जवाब देंहटाएंमिलने पर तेरे बहार अनगिनत रंग छिड़क जाती है मिलन का रंग बनकर ...
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\
मिलने पर तेरे बहार अनगिनत रंग छिड़क जाती है मिलन का रंग बनकर ....
जवाब देंहटाएंबने रहे मिलन के ये रंग ...!!