कभी ऐतबार आ जाये खुद पर
बस एक खता कर लेना तुम भी ,
इश्क किया है हरदम तुमको ही जिसने ,
प्यार उससे भी कर लेना तुम भी .....
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एक काले अँधेरे साए के आंचलमें ,
हम बैठे रहे रात भर यूँही तनहा ही ,
शमा भी थी पास ,आतिश भी थी ,
पर ख्वाहिश पल रही थी दिलमे यही की
आयेंगे जब वो मिलने मुझसे ,
चराग को खुद ही रोशन करेंगे और उन्हीका दीदार होगा हमें भी ....
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तड़प थी इस पार भी
तड़प थी उस पार भी
ये भी नहीं था की ना थी नाव साहिल पर ,
और दरियामें भी भरपूर था पानी भी ,
पर बुत बनकर खड़े ही रहे हम ,
क्योंकि उनके आने का ऐतबार
अभी तलक ना कर पाया ये दिल .....
कभी ऐतबार आ जाये खुद पर
जवाब देंहटाएंबस एक खता कर लेना तुम भी ,
इश्क किया है हरदम तुमको ही जिसने ,
प्यार उससे भी कर लेना तुम भी .....
bahut sundar bhaav.
आयेंगे जब वो मिलने मुझसे ,
जवाब देंहटाएंचराग को खुद ही रोशन करेंगे और उन्हीका दीदार होगा हमें भी ....
सुन्दर चित्रण मिलन व आस का।
शमा भी थी पास ,आतिश भी थी ,
जवाब देंहटाएंपर ख्वाहिश पल रही थी दिलमे यही की
आयेंगे जब वो मिलने मुझसे ,
चराग को खुद ही रोशन करेंगे और उन्हीका दीदार होगा हमें भी ....
क्या खूब भाव है दिल के । बहुत सुन्दर रचना । लाजवाब ।