वो बादलोंमें नजर आता वो चेहरा ,
वो रिमज़िम बुँदे बारिशकी ,
ठंडी हवाओंके ज़ोके कुछ पयाम लेकर आते थे ,
कौन किसीसे जुदा हुआ कभी ?
ख्यालोंमें अभी भी वो अक्सर बिना मेरी इज़ाज़त ही चले आते है ........
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झूमकर बहती जिंदगी को एक साहिल का इंतज़ार ,
एक छोटीसी कश्ती और सागरकी लहरों का आनाजाना ....
बैठकर देखते रहें आज यूँही किनारे ,
सागरका यूँ सूरजको निगल जाना !!!!!!
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हलकसे निगलते हुए पानी भी सुराही को तराश देता है वो मखमली अंदाज है ,
संगेमरमरभी शर्मोहयासे रूबरू होते कतराते है वो हँसी नजाकत है ,
हूर या परी को तो ना देखा कभी हमने ख्वाबोंमें कभी ,
एक तेरा दीदार हो जाए फिर क्या जन्नतकी जरूरत है !!!!!
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
bahut khoobsurat...aap achha likhti hai likhti rahiye
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