चाँदमें तराश दिया तेरा चेहरा ...
दीवार पर तस्वीरसा नजर आये तेरा चेहरा ....
क्यारीमें पौधे पर फूल बन नज़र आया तेरा चेहरा.....
सितारोके बीच दूजके चाँदसा ओज़ल तेरा चेहरा ...
मासूमियतकी जाल बुन खिलखिलाता उसमे तेरा चेहरा ...
अंगारोंकी आतिशका काजल लगा तेरा चेहरा ...
स्याहीकी शबनममें नहाकर एक ग़ज़ल बना तेरा चेहरा ....
जागी हुई आँखोंमें भी ख्वाबसा तैरता हुआ तेरा चेहरा ....
पहाड़ी झरनोंकी अठखेलियाँके शोरसा नज़र आये तेरा चेहरा ....
शमा पर हर रात टपकते मोममें भी नज़र आये तेरा चेहरा ...
ख़ामोशीके समुन्दरमें डूबता उतरता तेरा चेहरा ...
उगते सूरजकी लालिमा ओढ़कर आये कुछ कहने तेरा चेहरा ...
हिजरके पलोंमें सांसके बिना तडपते जिस्मसा लागे तेरा चेहरा ....
कल दफ़न कर दिया था जो जमींमें तेरा चेहरा ...
एक नटखट कोंपल बन उसी जमीं को चीर कर फिर नज़र आ ही गया तेरा चेहरा ....
behtreen rachna
जवाब देंहटाएंभुत पसंद आया हमें आप का ये चहरा
जवाब देंहटाएंshekhar kumawat
waah waah.........gazab ki prastuti........atyant sundar.
जवाब देंहटाएंकल दफ़न कर दिया था जो जमींमें तेरा चेहरा ...
जवाब देंहटाएंएक नटखट कोंपल बन उसी जमीं को चीर कर फिर नज़र आ ही गया तेरा चेहरा ....nice
ख़ामोशीके समुन्दरमें डूबता उतरता तेरा चेहरा ...
जवाब देंहटाएंउगते सूरजकी लालिमा ओढ़कर आये कुछ कहने तेरा चेहरा ...
हिजरके पलोंमें सांसके बिना तडपते जिस्मसा लागे तेरा चेहरा ....
कल दफ़न कर दिया था जो जमींमें तेरा चेहरा ...
इन पंक्तियों ने दिल को छू लिया.... बहुत सुंदर कविता....
एक चेहरे के अनेक रूप । बहुत खूब । बहुत ही सुन्दर कविता ।
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