आज शहीद दिवस है ..महात्मा गांधीजीकी मृत्यु जयंती ....
आज सुबह में अखबारके पिछले कोई पन्ने पर एक खबर पढ़ी तो दिल दहल गया मेरा ...एक आघात लगा ...अहमदाबादमें अठाईस जनवरी को तीन बच्चोने आत्महत्या की ...इसमें एक बच्चा सिर्फ सातवी कक्षामें पढता है ...शायद वर्तमान शिक्षण प्रथा की वेदी पर ये बलि चढ़ी है ...बहुत ही प्रसिध्ध फिल्म थ्री इडियटमें से ये युवा लोग ने बच्चे ने ये सिख ली ये सोच कर दिल दहल गया ....क्या जिंदगी अब शिक्षण संस्थाके दिए गए सच्चे जूठे ग्रेड की मोहताज हो गयी है ?????
आजकी मेरी ये पोस्ट आप अपनी पहचान के ऐसे लोगों को जरूर भेजे जिसके बच्चे बोर्डमें पढ़ाई करते है ...
२००६ में मेरी बेटी १० वी कक्षा में थी ...पढ़ाई में बिलकुल मामूली ...मैंने उसे कोचिंग क्लास में जाने को कहा तब उसका जवाब सुनकर मेरा दिल एक बार बैठ गया ...उसने कहा माँ तुम मुझे पढाओ ..,मुझे कोई क्लास करना नहीं है ...मैंने फिरसे दसवी कक्षा की सारी पुस्तकों को घर में बैठकर पढ़ा ...गणित और विज्ञानं के लिए मुझे निजी ट्यूशन लगाना पड़ा क्योंकि मुझे वो ज्यादा समजमें नहीं आता था ...बाकी के सारे विषय मैंने घर पर पढ़ने शुरू किये ...मैंने १९८५ में पढ़ाई छोड़ी तब के बाद ये पढ़ाना मेरे लिए एक चुनौती साबित हो रहा था ...पहली टेस्ट में उसके ४९ % आये ....पास तो हो गयी ...मेरे पड़ोस वाले मुझ पर हंसने लागे ..जहाँ पर लोग तीन से चार ट्यूशन लेते थे वहां पर मेरा ये पढ़ाना !!!!! दूसरी टेस्ट में ५२ % ....मेरी बेटी को मैंने कभी भी पढ़ाई के लिए या परसेंट के लिए कहा ही नहीं ...मैंने कहा बेटी ये बोर्ड की एक्साम ही जिंदगी का सही परिमाण नहीं है ...जितने भी तुम महापुरुष को देखोगी वो कभी बोर्ड के टोपर नहीं रहे ...औसत विद्यार्थी ही थे ...कई बार फ़ैल भी हुए थे ...बिलकुल डरना नहीं ...जितना आये उतना लिखना ...तुमने मेहनत की है तो जो भी परिणाम होंगे वो चलेंगे ....
गणित में वो काफी कमजोर थी ...विज्ञानं उसके पल्ले नहीं पड़ता था ...गणित से वो घबराती थी ...पर मैंने उसे दिलासा दिया बेटे २० पाठ मेंसे तुम्हे १० तो थोड़े बहुत आ ही जायेंगे ...पास तो हो ही जाओगी ...ना हो तो भी कोई बात नहीं ...और बोर्ड के पेपर छोटे से गाँव का सामान्य विद्यार्थी भी देता है तो उतने मुश्किल नहीं होते ...
उसकी पूरी नींद और भरपेट खाना उसका मैंने पूरा ध्यान रखा ...मैंने कभी उसे ये महसूस नहीं होने दिया की ये बड़ा तीर मारना है ...बिलकुल नोर्मल तरह से वो रेडियो सुनती और फ़िल्में भी देखती ....रात आठ बजे सोकर रात दो या ढाई बजे जागती ...और बादमे रात में नींद पूरी करके तीन घंटे पढ़ाई करके फिर दो घंटे सो जाती ....जब बोर्ड का रिजल्ट आया तब वो बिलकुल निश्चिन्त थी ..पर मैं काफी घबरा रही थी ....उसके ६९% आये ...
और उसने गणित में सबसे ज्यादा नंबर पाए थे ...उसने अपने डर पर विजय पा लिया था ...जब बारहवी कक्षा के बोर्ड के एक्साम थे तब हम उसे पंद्रह दिन पहले ही के कोमेडी फिल्म देखने सिनेमा होल ले गए ...उसके पास रहे उसे एक पल के लिए भी कोई तनाव में नहीं पाया .....बारहवी कक्षा में वो ४९% वाली बच्ची ने ७३% मार्क्स पाए तब मुझ पर हंसने वाले लोगो की जुबान बंद हो गयी ...
फिर उसकी पसंद की लाइनमें उसने आगे पढ़ाई शुरू की और अब वो खुद ही लगन से अभ्यास करती है ....
आशा है की अपने बच्चेके प्रति हम माँ बाप की ये मनोवैज्ञानिक फ़र्ज़ है जो हमें बखूबी निभाकर ऐसे हादसे होने से रोकने होंगे ....
BEHTREEN RACHNA...
जवाब देंहटाएंBILKUL SAHI KAHA AAPNE
जवाब देंहटाएंAJKAL TO SAB KUCH LOG BHULTE JA RAHE HAI...
जवाब देंहटाएंभावुक कर दिया आपने.......वाकई बच्चों के लिए हमें बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है......!
जवाब देंहटाएंइतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।
जवाब देंहटाएंbakwas
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