शब्द नि:शब्द थे
नज़र नज़र को ढूंढ रही थी
जिसका नज़रको था इंतज़ार आखिर वो मिल ही गयी
बस थोडा ये हुआ
वो हमें नज़रसे नहीं अँगुलियोंके स्पर्श थे देख रही ....
दिल को एहसास ना स्पर्श का गुलाम है ना नज़र का
दिल की धड़कन पनपते प्यार की गवाह होती है ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
sahi kaha.
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