11 दिसंबर 2009

निष्कर्ष ...

थोड़े दिन पहले मुझे मेल पर एक सुंदर कहानी मिली थी ...उसे आज आपको कह रही हूँ ...आशा है आप सबको भी पसंद आएगी ....

पच्चीस सालका एक लड़का अपने पिताजी के साथ ट्रेनमें सफर कर रहा था ..खिड़की वाली सीट पर बैठा था ।

"पापा ,देखो ये सारे पेड़ ट्रेनसे उलटी दिशामें जा रहे है ...और कितनी स्पीडसे दौड़ते दिखाई दे रहे है !!!"

अचानक बारिश शुरू हो गई ...लड़केने हाथ बहार निकाला और बुन्दोंको हाथ पर लेकर चिल्लाने लगा ," पापा ,कितनी सुंदर अनुभूति है !!!ये बुँदे कितनी सुंदर दिखती है बारिश बनकर !!!"

फ़िर पहाडी इलाके से गुजरते वक्त तो उसका बोलना रुक ही नहीं रहा था ...खुश था वह ...उस युवक का पिता ये सब मुस्कुराकर देख रहा था ...

लेकिन उस लड़केकी हरकतसे वहां पास बैठा हुआ युवा युगल बहुत ही परेशां हो गया था ...उसे उसकी बचकाना हरकतों से अब तो गुस्सा ही आ रहा था ...

अंत में उनसे रहा नहीं गया तो उस युवक के पिता को उन्होंने कहा ," आपको इसे किसी अच्छे हॉस्पिटलमें ले जाना चाहिए और उसका इलाज कराना चाहिए ....."

पिताने उत्तर दिया ," हाँ ,आपने ठीक ही कहा है ...मैं उसे आज ही हॉस्पिटलसे लेकर घर ले कर जा रहा हूँ ...वो आज उसके जन्म के बाद पहली बार इस दुनिया को अपनी आंखोंसे देख रहा है ...."

====सार : किसी भी बात पार निष्कर्ष पर पंहुचते हुए एक बार जरूर सोचो ....कभी सत्य ऐसा भी हो सकता है ...

2 टिप्‍पणियां:

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