16 नवंबर 2009

लालिमा शर्मकी छा जाती है अब भी

कितना खुबसूरत होगा वो पल जब मेरा दिल भी धड़का होगा .....

बस वो शर्मीले पलमें इस खूबसूरतीको महसूस न कर पाए हम ......

वो एक धड़कन चुक गए थे हम जब दीदार हुआ आपका ....

आपकी नज़रके उठनेके इंतज़ारमें हमारे कदम जम गए थे .....

बस हलके से उठाना उस पलकोंकी चिलमनको ,

अधखुली सी ,

इकरार झलक रहा था ,

इजहार करने को हमें भी ,

चलो इस लम्हेको सजाकर जहनमें

आज मोहब्बत पर आपकी इख्तियार कर लें .....

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