कैसे कभी कह पाएंगे हम ?
न कह पाए अब तक की
क्या गुजरी ?किस तरह अलविदा कहा था हमने ?
हमारे लबों पर थी हँसी और दिलमें दुआएं
पर जो पल हम जूझ रहे थे ख़ुदसे ही
की वो सिसकियाँ बाहर ना आ जाए !!!
वो अश्क छुपा रखा था आँखके कोनेमें .....
गालों पर से न सरक जाए ...!!
अब के तो ...
नई दुनिया होगी आपकी
बड़े ही मशरूफ रहते होंगे नए माहौलमें ....
एक पल भी कभी
न इस नाचीज़को ख़यालमें भूलकर भी बुलाया होगा ,
अब तक तो शायद आपने हमें भुलाया होगा ....
जानते है ...जानते है ....
पर एक इल्तजा अब हमें भी करने दो ...
बस अब इस खाकसार पर रहमोकरम कर दो ....
आपकी यादोंकी ज़ंजीरसे
अब एक पल के लिए हमें रिहा कर दो ....
ताकि अब एक रात चैनसे सो पायें हम ...
क्योंकि ख़त्म हो गई है अब सितारोंकी गिनती भी ,
और उन्हेंभी मेरी दास्ताँ मुंहजबानी याद हो चुकी है .....
बस अब की गहरी नींद आ जाए
ख्वाबोंमें डेरा लगाकर रुक जाओ ....
एक गुजारिश है आपसे :
आप तो दिलमें हो हमारे हमेशा से
रहनेको दो पलके लिए ही सही
आपके दिलका एक जर्रा नसीब होने दो .....
अब हमारी कब्र पर आपका भी सजदा होने दो ....
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