नर्म लगती रही हर बिसात इश्कमें ,
जब कुछ ख्वाबोंको बुलाने हम सो गए ,
हादसा बन गई वो तमाम यादें तुम्हारी ,
जो नर्म नाजुक अंडोसी टूटती रही ......
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टुटा दिल हमारा भी और तुम्हारे ख़याल ,
डसते रहे एक नागदंशकी चुभन से अब हर पल ......
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कहा था सयानोंने इश्क करना खेल है आगका ,
पर क्या जाने वो दीवानेकी ये आग ठण्ड का अहेसास लिए थी .....
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फूलोंकी सेज पर सोना तो चाह रहा हर कोई ,
तेरे इश्कमें तेरी बेवफाईने हमें काँटोंसी चुभन तो दी ,
न कोई शिकवा किया ना कोई गिला ,
तस्वीर तुम्हारी मेरे जहनमें हरदम हसती ही रही .....
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हर सोफे पर बैठकर हमें जो अहेसास हुआ वो लिख दिया ......
नर्म लगती रही हर बिसात इश्कमें
जवाब देंहटाएंतस्वीर तुम्हारी मेरे जहनमें हरदम हसती ही रही
sundar rachna
कहा था सयानोंने इश्क करना खेल है आगका ,. क्या कोई शक है.
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