28 अक्तूबर 2009

ठहरे है ख्वाब ...

जिंदगीने न प्यार किया ये शिकवा लब पर रहा ,

हमने जिंदगीको प्यार करना सिखा अब जिंदगी को शिकवा रहा ...

=======================================

रातको ख्वाब सो रहे थे ,

मेरी अधखुली आंखोंमें .....

=======================================

नींद का ख्वाबोंसे रिश्ता कहाँ ?

नींद उड़ जाती है ,ख्वाब ठहर जाते है .......

3 टिप्‍पणियां:

  1. ચોખી રચના !! તમારે બ્લોગ માં પૈલી બાર આવયો! ગુજરાતી બોલવા પૂરી નથી આવે કોશિશ કરું છું !

    जवाब देंहटाएं
  2. रातको ख्वाब सो रहे थे ,

    मेरी अधखुली आंखोंमें .....
    waah bahut sunder baat.

    जवाब देंहटाएं
  3. दुनिया में कुछ नहीं इन आंखों में दोष था
    हर झूठ मुझको सच ही लगता रहा यहां।

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...