कुछ बुझे हुए दिए की जली हुई लौ थी ,
पठाखोंकी जली हुई बारूदकी गंधसे भरी हवाएं थी ,
बिखरे हुए रंगोंसे सजा हुआ था आँगन ,
मिठाईओंके खाली बक्सोंकी जमावट थी ......
दिल तो खुशियोंसे भर गया था बहुत ,
पर बदनमें बहुत सारी थकावट थी .....
हाँ ये सारी निशानियाँ गुजरी हुई दीवालीकी रातों की थी .....
बेहद तरतीब और तरक़ीब से अपनी बात रखी है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्द चित्र है।बधाई।
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