तराजूको देखकर ये ख्याल आता है ,
सब कुछ नाप तोलकर ही क्यों ?
देखती हूँ जब बड़े लोगोंका हुजूम
जो पार्टीके नाम से है जाना जाता ,
नपीतुली आवाज़, और अल्फाज़में होती है बात ,
ग्रूमिंगके नाप पर मुस्कान को भी इंच सेंटीमीटरमें बाँधा है ....
नाप तोल कर जिस्म को भी रखे ,
वजनको भी नाप तोल कर रखो .....
कपड़ेभी फिटिंगमें होना चाहिए .......
और क्या एहसास भी नापतोल को दिखाओ ........
मैयतमें काले चश्मे लगाकर जाओ ,
आंसू को भी नाप तोल कर बहाओ .....
ये स्वार्थकी पट्टी जो हर घर द्वार पर आ गई है ,
स्क्वेर फीट पर घर बनते है और रिश्ते भी रुपये को तोल कर होते है ....
पर ये प्रभु भी बड़ा निराला है ,
जीवन की लम्बाई को कभी अपने हाथ से कहीं और ना डाला है .....
बहुत क़रीब से ग़ुज़री दिल के
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