चटख जाता है एक एहसास कभी ,
खुशी के माहौल भी गमकी बदरी लेकर गुजरते है ,
हमारी खता ये होती है की हम गुजरते नहीं उस गलीसे ,
हम पशोपश में पलते हुए वहीं ठहर जाते है ......
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चलते रहना ही जिंदगी है मेरी
फ़िर मैं कहीं क्यों रुक जाता हूँ ....
रुकने पर भी जिंदगी रूकती नहीं कभी ,
फ़िर मैं क्यों किसीके इंतज़ार में ठहर जाता हूँ ??????
रुकने पर भी जिंदगी रूकती नहीं कभी ,
जवाब देंहटाएंफ़िर मैं क्यों किसीके इंतज़ार में ठहर जाता हूँ ??????
waah,intazaar hai hi aisi lagan,saari umar gujar jaati hai,bahut sunder.