बस ठान लिया था ,कसम उठाई थी ,
याद करेंगे ना कभी तेरे जाने के बाद ,
वफ़ा हमारी दोस्ती की उस कसमको निभाया ,
याद कभी ना किया तुम्हे भुला ना पाए थे कभी जो ......
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बहुत मुद्दतोंके बाद एक चेहरा सामने आकर बैठ गया ,
जाना पहचाना सा ,एक जानी पहचानी मुस्कान लिए ,
लकीरोंमें चेहरे की ढूंढ रहा था एक लकीर उसकी पहचान की ,
उसका बढ़ा हाथ जो थाम लिया ,दोस्तीकी पुरानी सिहरन बदनसे गुजर गई ........
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