हम इंसान है ये हम भूल गये थे ,
हर खता तुमसे हुई हम माफ़ करे चले थे ,
अब ये गम तेरे प्यारमें पल रहा ,
ना मैं इंसान रह चला ना खुदा बन सका ...
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कश्ती साहिल पर इंतज़ार कर रही थी नाखुदा का ,
हवा के तेज झोंकेने सदा सुनी उसकी ,
और फ़िर क्या हुआ ...!!!!
लहरों पर बहाकर उसे नए सरजमींके सैर पर ले चला ....
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