8 मई 2009

अरे रे अरे ये क्या हुआ ?????

एक दिन सागरको पंख मिल गए कहींसे

और वह आसमांमें उड़ चला ...

बड़े से उस गड्ढेमें फ़िर जगह देखी चाँदने ऊपरसे

चाँद आकर जमीं पर उसमे जाकर बैठ गया ......

सूरजको छूनेकी ख्वाहिश लिए दिलमे

सागर उसकी और उड़ने लगा ...

एक एक बूंद तब भाप बनकर उड़ने लगी

सागरका अस्तित्व बादलमें तबदील हो गया .....

चाँद इस दुनियामें आकर बहुत मैला हो गया ,

शोरगुल भी इतना था की दोनों हथेलियाँ कानों पर धर चला .......

परेशान होकर चाँद फ़िर आसमानमें लौट गया ,

और वह बड़ा सा बादल जो था बरसकर गड्ढेमें फ़िर सागर बन चला ......

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