हवाके झोंके बहते है तेज़ तुफानोंसे कभी ,
कुछ तस्वीरें खुली खिड़कीसे आकर गिरा जाते है ....
तस्वीर बेजान होती है कांचकी दरारे सह जाती है ,
फिर कभी चुभनके साथ लहू भी बहा ले जाती है ...........
पर अय दोस्त तेरी तस्वीरको नहीं तेरे वजूद की खुशबूको
दिल की दीवार पर सजा रखा है रंग अब भी ताजा है ,
कैद हो यहाँ पर दिलमें हमारे दरवाजा जिसका खुला ही है ......
हर सांस पर जिन्दा हमारे वजूदको भी कर जाते हो ........
यह कविता पढ़ना एक सुन्दर अनुभव था
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चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें
achhi soch hai...achha comparison...kuhhek spelling mistakes reh gayi hai vaise
जवाब देंहटाएंwww.pyasasajal.blogspot.com
पर अय दोस्त तेरी तस्वीरको नहीं तेरे वजूद की खुशबूको
जवाब देंहटाएंदिल की दीवार पर सजा रखा है रंग अब भी ताजा है ,
कैद हो यहाँ पर दिलमें हमारे दरवाजा जिसका खुला ही है ......
हर सांस पर जिन्दा हमारे वजूदको भी कर जाते हो .
ye dosti ka paigam bahut hi pasand aaya preeti ji,sunder.