7 मई 2009

एक दोस्तको पयगाम.....

हवाके झोंके बहते है तेज़ तुफानोंसे कभी ,

कुछ तस्वीरें खुली खिड़कीसे आकर गिरा जाते है ....

तस्वीर बेजान होती है कांचकी दरारे सह जाती है ,

फिर कभी चुभनके साथ लहू भी बहा ले जाती है ...........

पर अय दोस्त तेरी तस्वीरको नहीं तेरे वजूद की खुशबूको

दिल की दीवार पर सजा रखा है रंग अब भी ताजा है ,

कैद हो यहाँ पर दिलमें हमारे दरवाजा जिसका खुला ही है ......

हर सांस पर जिन्दा हमारे वजूदको भी कर जाते हो ........

3 टिप्‍पणियां:

  1. achhi soch hai...achha comparison...kuhhek spelling mistakes reh gayi hai vaise

    www.pyasasajal.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. पर अय दोस्त तेरी तस्वीरको नहीं तेरे वजूद की खुशबूको

    दिल की दीवार पर सजा रखा है रंग अब भी ताजा है ,

    कैद हो यहाँ पर दिलमें हमारे दरवाजा जिसका खुला ही है ......

    हर सांस पर जिन्दा हमारे वजूदको भी कर जाते हो .
    ye dosti ka paigam bahut hi pasand aaya preeti ji,sunder.

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...