हवाओंका क्या है ? वो तो ऋतुके साथ बदलती है ,
तपते सहरासे गुजरते हुए वो आगसे झुलसती है ,
बर्फकी वादियोंमें वह ठण्डसे सिहरती है ...
बदलते मौसम के साथ हवाएं भी रंग बदलती है ..
वक्तको इंतज़ार है सहरामें एक ठिठुरती शाम हो ,
बर्फकी वादीकी चोटी पर भी सूरज का सलाम हो ,
ए औसकी एक आखरी बूंद तू काफी है मेरी प्यास के लिए ,
सब्र और नहीं इंतज़ार करने का एक बार आओ मेरी साँसोंके लिए ..
बहुत बढिया ..
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