6 मई 2009

बदलता वक्त और ये मौसम ...



हवाओंका क्या है ? वो तो ऋतुके साथ बदलती है ,

तपते सहरासे गुजरते हुए वो आगसे झुलसती है ,

बर्फकी वादियोंमें वह ठण्डसे सिहरती है ...

बदलते मौसम के साथ हवाएं भी रंग बदलती है ..


वक्तको इंतज़ार है सहरामें एक ठिठुरती शाम हो ,

बर्फकी वादीकी चोटी पर भी सूरज का सलाम हो ,

ए औसकी एक आखरी बूंद तू काफी है मेरी प्यास के लिए ,

सब्र और नहीं इंतज़ार करने का एक बार आओ मेरी साँसोंके लिए ..

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