18 मई 2009

भारत का दिल : राजधानी दिल्ही .....

जहाँ हमारे देशमे नई सरकार केन्द्र में बनने जा रही है उस देल्हीकी सैर पर चलें ????दिल्ही हमारे देश की राजधानी और भारत का दिल !!!! ठीक उसी जगह पर बसा हुआ है जैसे इंसानी जिस्म में दिल जहाँ पर बसा है । ऋषिकेश से हम बस यात्रा करते हुए निकले . रस्ते में ज्वालानगर ,रुड़की ,सहारनपुर ,मेरठ आदि शहरों के मध्य से होकर हमारी बस गुजरी. उन जगहों की झलक देखते हुए हम आखिरकार दिल्ही पहुँच ही गए . कश्मीरी गेट के पास अंतर्राज्य बस अड्डे पर हम उतर गए . वहां से पास ही 'गुजराती समाज' एक रुकने का सबसे बढ़िया विकल्प है . वहां पर रूम तो नहीं मिला पर door metary में जगह मिल गई . सामान सारा क्लोक रूम में रख कर हम थोड़ा नाश्ता पानी करके फ्रेश हो गए और निकल पड़े घूमने को . पैदल चलके दिल्ही -हरियाली दिल्ही को देखने का लुत्फ़ ही कुछ और है . बशर्ते यहाँ के ठग और गुंडा गर्दी से अवश्य सतर्क रह कर ही . थोड़ा थक जाओ तो साइकिल रिक्शा में घूमने का भी आनंद आता है . मेट्रो स्टेशन में जा कर हमने चार स्टेशन दूर शहादरा की टिकट लेली .बस हमें तो वह चमचमाती ट्रेन में एक बार घूमने का आनंद लेना था . यह ट्रेन कोलकाताकी तरह भूगर्भमें नहीं चलती पर जमीं से ऊपर चलती है . स्टेशन पर कदम रखो तो किसी विदेश में आ गए हो ऐसा महसूस होता है .कोई टिकट चेकर नही . अन्दर जाने के लिए मशीन में टिकट डालते ही अन्दर चली जाती है और दरवाजे से हम अन्दर जा सकते है .दूसरे छोर पर टिकट बाहर आ चुकी होती है उसे लेकर अन्दर चले जाओ .बहुत ही सुंदर और साफ सुथरी जगह है . नियत समय पर आई गाड़ी में सवार हुए . centrally airconditioned and throgh out pasaage वाली गाड़ी है . शहादरा उतर कर बाहर जाकर फिर वापस आए . फिर कश्मीरी गेट पहुँच गए . वहां पर तब भूगर्भ रेलवे मेट्रो का मार्ग बन रहा था . वहां पर खाली खाली ऐसे ही चढ़ने उतरने का बड़ा आनंद आया . फिर लौट गए . वहां पर परिसर मैं ही एक travel agency है जहाँ से हमें दिल्ही दर्शन ,वन डे टूर -आगरा ,मथुरा ,वृन्दावन के लिए जाने की सुविधा मिल जाती है . इस जगह परिसर में ही किफायती रूम में ठहरने की व्यवस्था के अलावा पूर्णतः गुजराती खाने की थाली ,चाय नाश्ता सबका प्रबंध है . इधर से आप उत्तरांचल जा रहे हो तो गुजराती नाश्ता भी अच्छा और सस्ता मिल जाता है .हमने दूसरे दिन सुबह की छोटी सी मिनी बस में दिल्ही दर्शन के लिए बुकिंग करवा ली . रात में डोरमेटोरीमें सोने का अनुभव कुछ अलग ही रहा . हमेशा सुविधा जनक स्पेशल रूम में रहते थे इस लिए थोड़ा अटपटा सी लगा पर अगर प्रवास में कोई असुविधा का सामना न करना पड़े तो मजा भी नहीं आता है .

दूसरी सुबह हमें रूम मिल गया । हम वहां पर तैयार हो कर दिल्ही दर्शन के लिए निकल पड़े . पहला पड़ाव था लाल किला . लाल किला -मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की एक ऐतिहासिक देन -भेंट भारत भूमि को .२००३ में हम यहाँ पर सिर्फ़ ६ घंटे के लिए ही रुके थे तभी हमने यह देख लिया था . दीवाने आम , दीवाने खास , रानियों के महल , राज सभा का स्थान , मयुरासन का स्थान , कला कारीगरी से भरपूर स्थापत्य , एक छोटा संग्रहालय, मीना बाज़ार सब देख लिया था अतः हम बाहर ही घुमते रहे .

यहाँ पर हमारा देश स्वतंत्र हुआ तबसे हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर आज तक के सब प्रधानमंत्री हमारे देश की शान तिरंगे के हमारे स्वतंत्रता के दिन फहराते है । उस गौरव पूर्ण पल की परिकल्पना कर रहे थे . ठीक सामने है चाँदनी चोक , वहां पर एक मन्दिर बहुत ही सुंदर है . अगर आप बार्गैनिंग में होशियार हो तो अच्छी और सस्ती चीजे यहाँ से खरीद सकते हो .पुरानी दिल्ही का अक्स आपको यहीं पर नजर आएगा . दिल्ही की चाट से लेकर छोले भटूरे तक का असली स्वाद आप यहाँ पर पा सकते हो . यहाँ पर हम लगभग पांच छ घंटे तक हमारे यहाँ के पड़ाव के अन्तिम दिन घुमे थे .

उसके बाद बाहर से ही जुम्मा मस्जिद को देखा । हमारे सभी महापुरुषों के समाधि स्थल पर भी गए तब मुझे यही ख्याल आया :

रहने को घर नहीं ,सोने को बिस्तर नहीं , खाने को नहीं पेट भर अन्न ॥ऐसे कई लोगों की जरूरत बन सके ऐसी हजारों एकर जमीं यहाँ पर मृत नेताओं की समाधि के पीछे लगाई गई है । बहुमूल्य पानी का उपयोग यहाँ पर हरियाली बनाये रखने किया गया है .?!!! हाँ महात्मा गांधीजी ,पंडित नेहरू , लालबहादूर शाश्त्रीजी की समाधि तक तो ठीक है की उन्होंने हमारी स्वतंत्रता के लिए मुख्य योग दान दिया था ..पर बाकी के ????

अब हमने इंडिया गेट का रूख किया , संसद भवन ,नॉर्थ ब्लोक ,साउथ ब्लोक , राजपथ को पैदल चलके बाहर से ही देखा । दिल्ही की शोभा यहाँ देश की राजधानी के अनुरूप ही है .उसके बाद सुप्रीम कोर्ट भवन , आकाशवाणी भवन बाहर से ही देखा . एम्बेसी मार्ग भी देखा . १,सफदरगंज ॥हमारी स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी का निवास स्थान जो हम अब राष्ट्रीय स्मारक के रूप में देख सकते है .सुंदर घर ,फर्नीचर और अलभ्य तस्वीरें देखने को मिली . उनकी हत्या हुई थी उस स्थान को भी देखा जिसे चारों बाजु से सुरक्षित कर दिया गया है .

तीन मूर्ति भवन - एक विशाल जगह में बना एक विशाल और आलीशान भवन जो हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का सत्तावर निवासस्थान था वो देखा । अत्यन्त सुंदर है . वहां इन्दिराजी के बचपन की यादें फर्नीचर के साथ सुरक्षित है .

हमारा अगला पड़ाव था बिरला हाऊस-महात्मा गांधीजी की उसी जगह हत्या कर दी गई थी । उनकी अन्तिम यात्रा चरणों को उभार कर दर्शाई गई है . हत्या के स्थल को भी ..... एक महान विभूति को मेरा कोटी कोटी वंदन !!!!

गाँधी स्मारक -महात्मा गाँधी के जीवन से जुड़ी हर चीज का एक अलभ्य संग्रहालय है । वहां पर गांधीजी के जीवन की हर दुर्लभ तस्वीर मौजूद है . लेकिन मैं अभिभूत हो गई गांधीजी की हत्या के तुरंत बाद की तस्वीर से जहाँ देश की अखंडता और एकता के लिए एक इंसान ने अपने बहुमूल्य जीवन की आहुति दे दी और उसका नाम इतिहास के स्वर्ण पृष्ठ पर अंकित हो गया . एक इतिहास लिखने वाला इंसान इतिहास की गर्ता में विलीन हो गया ...

कुतबुद्दीन ने बनाया कुतुब मीनार हम कैसे भूल सकेंगे । पुरातत्व विभाग ने पुरा ध्यान देकर उसके रख रखाव का कार्य संभाला है . प्राचीन इमारत की तवारीख में दिल्ही के इतिहास के साथ इसका नाम भी अमर रहे उतनी आसमान को छुलेने वाली बुलंदी है इसकी ॥ पास में ही लोह स्तम्भ ४०० वर्ष पुराना लोहे का स्तम्भ पर आज तक जंग नहीं लगी है . बड़ा अच्छा ऐतिहासिक स्मारक है . रात में यहाँ पर लायिटिंग की जाती है तब ये और भी भव्य लगता है .

जब हम वहां गए थे तब वहां पर स्वामिनारायण मन्दिर का कम अभी पूर्ण नहीं हुआ था । पर अब ये भव्य मन्दिर भी एक दर्शनीय स्थलों की लिस्ट में शामिल हो चुका है . जंतर मंतर भी देख ही लो . ग्रह दशा में ऐसे घूमना-फिरना लिखा है या नहीं ???

भवानी गंज का कात्यायनी माता की शक्ति पीठ मन्दिर देखा । वहां पर एक द्वार ऐसा है जो सिर्फ़ चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि में अपने आप ही खुलते है और नवरात्रि के समाप्त होते ही बंद भी हो जाते है ।

एक भव्य इमारत जिसे हम लोटस टेम्पल कहते है वह भी देखा । खूब सुंदर और अवर्णनीय इमारत !! आखिर मैं हम इस्कोंन मन्दिर गए . वहां की भव्य संध्या आरती की . वहां के लाईट और साउंड शो को देखा . बहुत ही रोचक लगा . दिल्ही के भव्य मार्ग पर होते हुए रात को हम वापस आ गए हमारे पड़ाव पर .

एक दिन हमने स्वेच्छा विहार भी किया जब हम गए पालिका बाज़ार के airconditioned market और कोनोट प्लेस । खूब पैदल घुमे . लीची के फल का आनंद भी ले लिया . रिच और फेमस लोगों की यह शोप्पिंग की जगह है .

दिल्ही के लंबे चौड़े रस्ते , भव्य फ्लाई ओवर भुलाए नहीं भूलते ।खूब हरियाला शहर है ये नई दिल्ही . बस अगर न देखा हो तो एक बार तो देख कर आओ ...

नोट :आप इस जगह के चित्र गूगल इमेज सर्च से जाकर देख सकते है ...

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