कैसी खुबसूरत होती होगी वो शाम अब भी ,
जब झीलके किनारे बैठकर सूरज अपना लाल अक्स देखता होगा ,
तब यादोंके एक कंकरसे पानीमें एक तरंग उठता होगा ,
जब लौटेंगे हम तब उस तरंगको ठहरा देंगे ,
आज इस हँसी शामको फ़िर जिन्दा बना देंगे ,
इंतज़ार थोड़ा कर ही लो जिंदगीको वापस बुला लेंगे ...........
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कितने ज़ख्म और देगी ये जिंदगी ?
अब तो ज़ख्मके लिए भी जगह नहीं है दिल पर ,
ये लहू बह रहा है ? या बह रहे है अश्क ?
किस खता की सज़ा दे गए ये भी पता नहीं है ..............
wah...kya baat hai...
जवाब देंहटाएंsuraj apna lal aks dekhta hoga....
bohot achche....
कितने ज़ख्म और देगी ये जिंदगी ?
जवाब देंहटाएंअब तो ज़ख्मके लिए भी जगह नहीं है दिल पर ,
ये लहू बह रहा है ? या बह रहे है अश्क ?
किस खता की सज़ा दे गए ये भी पता नहीं है ...........bahut sunder shabdon ka sanjojan hai
waah ..........dil ke jazbaat poori tarah undel diye hain.
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