16 अप्रैल 2009

देखो सुबहका आसमान ......

रातकी आगोशमें लिपटकर सन्नाटा सोया था ,

सपनोंसे जागी मेरी आँखोंको तलाश थी सितारोंकी ,

सन्नाटेको चिरती हुई एक करवट ली रातने ,

और बादलोंमें छुपकर बैठा चाँद दिख गया ............

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विराना भी रास आ जाता है जिंदगीको ,

जब खयालोंमें ही किसीसे मुलाकात होती है ,

तपते दोपहरमें दिल भीग जाता है कुछ ऐसे ,

रूबरू होने पर उनके जैसे मौसम पहली बारिश होती है ......

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नगीनेसे अल्फाजोंको बिखेर दो

आज कोरे कागज़को आँचल बनाकर ,

देखो अब सज गया है ये अभी ,

रोशन होकर चेहरा सादगीमें लिपटा हुआ ....

2 टिप्‍पणियां:

  1. विराना भी रास आ जाता है जिंदगीको ,

    जब खयालोंमें ही किसीसे मुलाकात होती है ,

    तपते दोपहरमें दिल भीग जाता है कुछ ऐसे ,

    रूबरू होने पर उनके जैसे मौसम पहली बारिश होती है
    waah aisa hi mehsus hota hai,bahut hi khubsurat

    जवाब देंहटाएं
  2. मरुथल भी सुन्दर लगता है, उनके आने से।
    स्वर पहचाना सा लगता है, उनके आने से।
    मन में शहनाई सी बजती, उनके आने से।
    गालों पर अरुणाई सजती, उनके आने से।
    बिन बादल वर्षा आ जाती, उनके आने से।
    सूखी सरिता सरसा जाती, उनके आने से।
    मन-उपवन में आये हो, तो जाना नही सनम।
    सुख-दुख में तुम साथ निभाना तुमको मेरी कसम।

    जवाब देंहटाएं

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