13 अप्रैल 2009

नई कोंपल .....

मुफलिसीके लिबासमें दौलत मुझे मिलने आई ,

उसे मैंने लौटा दिया ,मुझे अपनी मुफलिसी ही रास आई .........

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ये आप क्या कर बैठे ? मेरे दिलके आयनेको चूर चूर कर दिया ?

अब देखो जाकर हर टुकड़ेमें आपका ही अक्स उभरा है ......

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उस नाजुकसी डालीको कोमल स्पर्शसे सहला भी लूँ ,

नई कोंपलने बाहर आते वक्त उसका जिस्म चिर दिया है .....

6 टिप्‍पणियां:

  1. ये आप क्या कर बैठे ? मेरे दिलके आयनेको चूर चूर कर दिया ?

    अब देखो जाकर हर टुकड़ेमें आपका ही अक्स उभरा है

    ==========================================

    उस नाजुकसी डालीको कोमल स्पर्शसे सहला भी लूँ ,

    नई कोंपलने बाहर आते वक्त उसका जिस्म चिर दिया है .

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    waah behtreen sher kahen hain aapne...bahut hi achaa..!!

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  2. उस नाजुकसी डालीको कोमल स्पर्शसे सहला भी लूँ ,

    नई कोंपलने बाहर आते वक्त उसका जिस्म चिर दिया है .....
    bahut marmik sher,aki bhi bahut achhe lage.badhai

    जवाब देंहटाएं
  3. ये आप क्या कर बैठे ? मेरे दिलके आयनेको चूर चूर कर दिया ?

    अब देखो जाकर हर टुकड़ेमें आपका ही अक्स उभरा है ......

    ............बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपको और आपके पुरे परिवार को वैशाखी की हार्दिक शुभ कामना !

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  5. kya baat kahi hai aapne bahot hi khubsurati se likha hai aapne...bahot bahot badhaayee iske liye...


    arsh

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