21 मार्च 2009

एक शमा जलाकर रख देना ......

अपने दर पर एक शमा जलाकर रखना ,

अपने इस दिलमें एक कोना हमारा भी रखना ,

नहीं ख्वाहिश तुम्हारी हमें दिलमें बसानेकी उम्रभर ना सही ,

बस कभी तन्हाईमें एक बार कोरे कागज़ पर हमारा नाम लिख देना .........

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सफरके हर कदम पर साथ चलते रहने का लुत्फ़ याद आया ,

जमीं का चलना ,आसमांका रुकना हमें याद आया ,

महोब्बतके जामको एक ही घूंट में पी तो लिया हमने ,

खाली इस पयमानेमें भी आपकी बातों का नशा याद आया .........

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ख्वाबोंको पकनेमें शायद वक्त अभी बाकी है ,

जिंदगीकी शामसे रात का सफर अभी बाकी है ,

रातकी दहलीज़ पर एक कदम अभी बाहर बाकी है ,

जिंदगी का सफर शायद थोड़ा ही सही ख्वाबों की लम्बी डगर अभी बाकी है ...

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उनकी वफाकी शिद्दतमें कभी कोई कमी न थी ,

खता ये हमारी ही है की हम ही कभी प्यार कर न पाये ........

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चलो आज हम ही उनके पास मिलने जाते है ,

रूठे लगते है कुछ खफा भी लगते है तो उन्हें मनाकर आते है ........

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