अपने दर पर एक शमा जलाकर रखना ,
अपने इस दिलमें एक कोना हमारा भी रखना ,
नहीं ख्वाहिश तुम्हारी हमें दिलमें बसानेकी उम्रभर ना सही ,
बस कभी तन्हाईमें एक बार कोरे कागज़ पर हमारा नाम लिख देना .........
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सफरके हर कदम पर साथ चलते रहने का लुत्फ़ याद आया ,
जमीं का चलना ,आसमांका रुकना हमें याद आया ,
महोब्बतके जामको एक ही घूंट में पी तो लिया हमने ,
खाली इस पयमानेमें भी आपकी बातों का नशा याद आया .........
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ख्वाबोंको पकनेमें शायद वक्त अभी बाकी है ,
जिंदगीकी शामसे रात का सफर अभी बाकी है ,
रातकी दहलीज़ पर एक कदम अभी बाहर बाकी है ,
जिंदगी का सफर शायद थोड़ा ही सही ख्वाबों की लम्बी डगर अभी बाकी है ...
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उनकी वफाकी शिद्दतमें कभी कोई कमी न थी ,
खता ये हमारी ही है की हम ही कभी प्यार कर न पाये ........
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चलो आज हम ही उनके पास मिलने जाते है ,
रूठे लगते है कुछ खफा भी लगते है तो उन्हें मनाकर आते है ........
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बहुत ही प्यारे शेर कहे हैं आपने, हार्दिक बधाई।
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