सफ़ेद बर्फकी चादर पर लिखा है ,
अँगुलियोंसे अपनी एक नाम ,
अय जिंदगी लेकर आजा एक बहार ,
बितानी है साथ उसके हमें आज एक शाम ......
ढलती हुई शाम के आँचल पर ,
फैली होगी सात रंगोंकी लकीरें ,
एक छोटी से आग के सामने बैठकर
लिखनी है अब हमें कुछ तकरीर ....
पंछियोंका लौटकर जाना होता है घरौंदें में ,
रातकी सुर्ख स्याही तब लिखती है
सितारोंकी दवात लेकर चाँद पर ....
एक दास्तान जो आने वाले कल की होती है .....
प्रीति जी बहुत ही सुन्दर कविता है
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