6 मार्च 2009

सफ़ेद बर्फ की चादर

सफ़ेद बर्फकी चादर पर लिखा है ,

अँगुलियोंसे अपनी एक नाम ,

अय जिंदगी लेकर आजा एक बहार ,

बितानी है साथ उसके हमें आज एक शाम ......

ढलती हुई शाम के आँचल पर ,

फैली होगी सात रंगोंकी लकीरें ,

एक छोटी से आग के सामने बैठकर

लिखनी है अब हमें कुछ तकरीर ....

पंछियोंका लौटकर जाना होता है घरौंदें में ,

रातकी सुर्ख स्याही तब लिखती है

सितारोंकी दवात लेकर चाँद पर ....

एक दास्तान जो आने वाले कल की होती है .....

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