25 फ़रवरी 2009

कोई मेरे पास आता है ......

जाने क्यों इस जिंदगीको आज बहलाना चाहा,

जाने क्यों इस जिंदगीको आज सहलाना चाहा .....

फिरभी इस जिंदगीको बहलाना सके ,

उसे पलभर के लिए गोद में बिठाकर सहला ना सके .......

और कोई मेरे पास आता है,

चूपकेसे इन कानोंमें कुछ कह जाता है .....

साथ मेरे चलोगी ?

और साये सा चला जाता है .........

मेरे ख्वाबो को समेटकर खुशियाँ दे जाता है ,

और फ़िर हाथोंसे फिसल कर रेत सा सरक जाता है ,

क्या कहूँ उसे मैं ? चुपसी खड़ी रह जाती हूँ ...

जाना होता है साथ मगर वहीं पर रुक जाती हूँ ........

ये कोई ख्वाब था या प्यारा सा ख्याल !!!

नजरसे ओज़ल होकर जैसे कोई साथ चलता गया !!!!

जैसे जिंदगी रुक गई है मंजिलके पास ,

मिल रही हूँ आज उसे जिसे मिलने की युगोंसे थी प्यास !!!!

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