23 फ़रवरी 2009

क्यूं ..??क्यों ???

ये इश्कका मकाम ही तो है ,

फूलोंके तोहफे जहाँ हमें मिले कई ....

पर आपके फुल हमें लगे कुछ ख़ास है ,

'क्यूँ कि ' आपके फूलोने ही हमें दिए थे जख्म ....


जख्मसे टपका लहू आँखोंसे अश्ककी तरह दरिया बन ,

जब तुमसे बिछड़कर् तनहा जिया करते थे ....

कोई चेहरा तस्वीर बनकर दिलमें नही उभरा कभी ,

"क्यूँ" आपकी तस्वीर आज हमारे रूबरू उभरकर आई है ??


कसक है मीठी प्यारकी जो दर्द बनकर साँस घुल रही है शायद ,

आप सवाल बनकर ही सजी रहे सामने हमारे ,

आपका न हमें कोई भी जवाब मिले ...,

"क्यूँ " जुडा रहेगा जिंदगीसे तो ,

और शायद बनी रहेगी कशिश जीनेकी .....!!!

5 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar
    ,ishq ke behatreen tasweer pesh kiya hai aapne .

    badhai ho.

    pls read my new poem @ www.poemsofvijay.blogspot.com and give ur valuable comments .

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर भाव अभिव्यक्ति..

    मेरे शब्दों में


    प्यार के जख्मों को फ़ूल समझ कर पालो
    अश्क मोती हैं इन्हें पलको पर ही सम्भालो

    जवाब देंहटाएं
  3. nice one..
    pls come to visit my blog too.. hope i will get some valuable comments..

    जवाब देंहटाएं

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