सजाया था हमारे दीदार को ख्वाबों में ,
पर हमतो सिर्फ़ इंतज़ार ही है ....
किसीने चाहा था अंजाम इस शब्बे फिराक का ,
पर हमतो सिर्फ़ एक ख्वाब है तनहा से ....
किसीने ख्वाबों की दुनिया बसा ली हमारे साथ ,
कैसे कहे उसे हम की हम तो सिर्फ़ इंतज़ार है .....
किसीकी वफ़ा को हमारा इंतज़ार भी है गवारा ,
पर कैसे समजा सके उन्हें की तसव्वुर में सिर्फ़ यादे ही बाकी है .....
किसीकी इस दीवानगीके इस खुमारने हमें घायल कर दिया ,
पर उन्हें बता न सके हर कतरे पर हमारे खून के बस तुम्हारा नाम बाकी है ...
किसीके प्यार की ये इन्तेहाँ नहीं तो क्या है ??
उनके दिल में अब भी हमारी धड़कन बाकी है .......
किसीकी मोहब्बत हम पर चढी कुछ इस कदर चढी परवान ,
लब हमारे बोल उठे वादा अभी तो सात जन्मों का बाकी है .....
किसीकी बे-इन्तहा चाहत पर हम हुए यूं जांनिसार ,
कह बैठे मंजिल तक चाहे न सही और दो कदम तक साथ बाकी है .....
अच्छी अभिव्यक्ति , पढ़कर सुखद अनुभूति हुयी !
जवाब देंहटाएंमातृभाषा गुजराती होते हुए भी हिन्दी पर आपकी पकड़ ,साथ में उर्दू शब्दों का बखूबी मिश्रण .बहुत खूब.बधाई.
जवाब देंहटाएं