8 जनवरी 2009

मुझसे दोस्ती करोगे ?



फासले हो चूके है अब दरम्यां हमारे, हम रुके है उसी मोड पर जहां तुम छोड गये थे,
नजर आ रहे हो आप बुलंदी पर जहांसे नजर आपकी अब हमें न ढूंढ पाये हैं भीडमें ............
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रस्में वफा सीखनेकी क्या जरूरत है हमें ?
जब ईश्कको ईमान और वफाको इबादत समज लिया हमनें,
ये फैसला था तकदीरका कि हम आपसे बिछड गये,
अब तो यादोंको ही आपकी खुदा समज लिया है हमनें......
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हमराझ बने,हमकदम बने, हमसफर बनकर साथ चलते रहे,
मिलकर भी ना मिले कभी ,फिर भी हर डगर साथ साथ चले...
वक्तके दामनके फूलोंको चुनते हुए, राहोंसे प्यार करते हुए,
आज ताज्जुब हुआ एक सवाल पर जो पूछा आपने हमसे ...
हर रस्मे वफा कस्में अदा कर रहे थे आज तक हम बदस्तुर ,
पूछ रहे हो अब जाकर हमें कि मुझसे दोस्ती करोगे?????=======================================================

3 टिप्‍पणियां:

  1. हमराझ बने,हमकदम बने, हमसफर बनकर साथ चलते रहे,
    मिलकर भी ना मिले कभी ,फिर भी हर डगर साथ साथ चले...

    बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ........

    जवाब देंहटाएं
  2. pata nahi magar kyon kuch to hai jo....anchhuaa hai.....???

    waise aapko padne se naye naye...bhawo se sakshatkar hota hai....shubhkamnayen....!!!


    Jai HO Magalmay Ho...

    जवाब देंहटाएं

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