
कभी कभी ये अश्क खामोशीकी जुबां बनते है ,
आंखोसे बहते है मगर हाल दिलका बयां करते है ....
देखो बाहर खुले आसमांमें चमकता सूरज है ,
पर कभी सुरमई बने ऐसे पल आंखोंसे अचानक बरसते है .....
आज पूछो एक सवाल अपने दिलसे भी क्या मिलनेसे ही रिश्ते बनते है ???
कभी कभी न मिलनेवाले अनदेखे चेहरे भी तुम्हारे दिलको पढ़ लेते है ....!!
पूरा दिल का ये मकान एक जो रिश्तोंसे भरा हुआ होता है ,
तभी एक चेहरा रेतमें पानीकी तरह जगह बना लेता है ......
कभी तनहा हो ,कभी खामोश हो ,कभी उदास हो ,
तब वो चेहरा दिलसे बाहर आकर तुम्हारे अश्क पोंछ देता है ...........
कभी कभी ये अश्क खामोशीकी जुबां बनते है ,
जवाब देंहटाएंआंखोसे बहते है मगर हाल दिलका बयां करते है ....
-बिल्कुल सही!!
बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंआप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंजय हिंद जय भारत
कभी तनहा हो ,कभी खामोश हो ,कभी उदास हो ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
सादर
द्विजेन्द्र द्विज
http:/www.dwijendradwij.blogspot.com/