14 जनवरी 2009

हर फूलकी खुशबू ताज़ा है ...


रुबरु हुए थे आपसे हम एक अरसा हो चुका था,
लग रहा था क्या भूल गये हैं हम आपको?
जब अचानक एक मोड पर सामना हो गया है आज तो महेसूस हुआ यूं
कि यादोंके गुलिस्तानके खीले हर फूलकी खूश्बु ताझा है...........
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मंझर दोस्तीका यूं भी होता है कभी मिल न पाये चाह कर हम,
न मिलते हुए भी साथ गुजारा हर पल बदस्तूर अभी ताजा है.......
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3 टिप्‍पणियां:


  1. पहले आपको क्यों नहीं पढ़ा, प्रीति जी ?
    एक बार पिछली पोस्टें भी खँगाल लूँ !

    जवाब देंहटाएं
  2. मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ
    मेरे तकनीकि ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं

    -----नयी प्रविष्टि
    आपके ब्लॉग का अपना SMS चैनल बनायें
    तकनीक दृष्टा/Tech Prevue

    जवाब देंहटाएं

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