1 फ़रवरी 2009

मैं जिंदगी कहाँ ?





मैं कौन हूँ ? मुझे जानने की कोशिश न कर ....

मैं हूँ कहाँ ?मुझे ढूँढने की कोशिश न कर ॥

खुशबू का वह झोका हूँ जो फिजा में है घुल गया ॥

मय का हूँ वो नशा ,जिसने तेरी आँखों को है तर किया ...

खामोशी हूँ , जिसे कोई सुनने की कोशिश है कर रहा ...

हवा की हूँ वह गूंज ,जो तुम्हारी सांसो को छूकर है गुजर रही ...

प्यास हूँ एक बूंद की जिसका पता एक सागर है ...

आस हूँ एक जिंदगी की ,जिसे खुशियों की है प्यास ...

अहसास उस स्पर्श का जो बिन कहे सब बोल उठता है ...

सपना हूँ उन आँखों का जिसका सितारों से आगे है एक जहाँ ...

सफर हूँ एक मंजिल की , थकान का हूँ आशियाना ....

आजाद हूँ उस कैदी पंछी की तरह चाह जिसे है आसमान की ...

पहचान उस अक्स की हूँ जिसमे जिंदगी रोज नया एक रंग है भरती ...

तृप्ति हूँ उस जिंदा प्यास की ,

उभर रही आशा की लहर हूँ ...

पहचाना मुझे ?

मैं जिंदगी कहाँ ?..मैं मंजिल तक का सफर हूँ .....


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